नई दिल्ली। चंद लम्हों में इंसान को मौत की नींद सुला देने वाला ब्लैक कोबरा और वाइपर सांप का जहर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज में मददगार साबित हो सकता है। एक नए शोध में इस बात की संभावना जाहिर की गई है।
कोलकाता के इंडियन इंस्टिटयूट आफ केमिकल बायोलाजी के विशेषज्ञों के एक दल ने पाया है कि सांप के जहर में मौजूद प्रोटीन का इस्तेमाल कैंसर रोधी दवाओं को तैयार करने में किया जा सकता है। वैज्ञानिक सांप के जहर से ऐसे प्रोटीन को पृथक करने की कोशिश में हैं, जिनमें कैंसर रोधी तत्व पाए जाते हैं। जहरीली कोशिकाओं की वृद्धि को भी रोकते हैं। विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व कर रहीं अपर्णा गोम्स ने बताया है कि शोधकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराए गए तथ्यों के आधार पर उनकी टीम इस तरह की दवा विकसित करने पर काम कर रही है। बकौल गोम्स वैज्ञानिकों ने अभी भारतीय मोनोसेलेट कोबरा और रसेल्स वाइपर के अपरिष्कृत जहर के कैंसर रोधी कारकों (कारसिनोजेनिक) का चूहों की त्वचा, ट्यूमर और रक्त संबंधी कैंसर पर परीक्षण किया है।
गोम्स के मुताबिक सांप का जहर कई जहरीले प्रोटीन और एंजाइम का एक दुरूह मिश्रण होता है। यह प्रोटीन न केवल मनुष्य की त्वरित मौत के लिए जिम्मेदार होते हैं, बल्कि कैंसर और कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी कारगर मददगार साबित हो सकते हैं। यह अध्ययन साइंस जर्नल 'एथोनोफमोकोलाजी' प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में सांपों के जहर में मौजूद अवयवों पर प्रकाश डला गया है, जिनमें बीमारियों से निपटने को लेकर तमाम संभावनाएं हैं। इस अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कैंसर प्रभावित चूहों पर सांप के कुछ कम घातक जहर का परीक्षण किया है। परीक्षण के नतीजे बताते हैं कि चूहों की उम्र में आनुपातिक वृद्धि तो हुई ही, उनमें एंटी-आक्सीडेंट (गैर उपचायक) प्रणाली भी मजबूत हुई। सांप के जहर में कोशिकाओं को जहरीला बनने से रोकने की क्षमता होती है। रक्त कैंसर के मामले में सांप का जहर कोशिकाओं को मरने से बचा सकता है। सांप का जहर त्वचा कैंसर उत्पन्न करने वाले सरकोमा के निर्माण को कम कर देता है।
कोलकाता के इंडियन इंस्टिटयूट आफ केमिकल बायोलाजी के विशेषज्ञों के एक दल ने पाया है कि सांप के जहर में मौजूद प्रोटीन का इस्तेमाल कैंसर रोधी दवाओं को तैयार करने में किया जा सकता है। वैज्ञानिक सांप के जहर से ऐसे प्रोटीन को पृथक करने की कोशिश में हैं, जिनमें कैंसर रोधी तत्व पाए जाते हैं। जहरीली कोशिकाओं की वृद्धि को भी रोकते हैं। विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व कर रहीं अपर्णा गोम्स ने बताया है कि शोधकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराए गए तथ्यों के आधार पर उनकी टीम इस तरह की दवा विकसित करने पर काम कर रही है। बकौल गोम्स वैज्ञानिकों ने अभी भारतीय मोनोसेलेट कोबरा और रसेल्स वाइपर के अपरिष्कृत जहर के कैंसर रोधी कारकों (कारसिनोजेनिक) का चूहों की त्वचा, ट्यूमर और रक्त संबंधी कैंसर पर परीक्षण किया है।
गोम्स के मुताबिक सांप का जहर कई जहरीले प्रोटीन और एंजाइम का एक दुरूह मिश्रण होता है। यह प्रोटीन न केवल मनुष्य की त्वरित मौत के लिए जिम्मेदार होते हैं, बल्कि कैंसर और कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी कारगर मददगार साबित हो सकते हैं। यह अध्ययन साइंस जर्नल 'एथोनोफमोकोलाजी' प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में सांपों के जहर में मौजूद अवयवों पर प्रकाश डला गया है, जिनमें बीमारियों से निपटने को लेकर तमाम संभावनाएं हैं। इस अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कैंसर प्रभावित चूहों पर सांप के कुछ कम घातक जहर का परीक्षण किया है। परीक्षण के नतीजे बताते हैं कि चूहों की उम्र में आनुपातिक वृद्धि तो हुई ही, उनमें एंटी-आक्सीडेंट (गैर उपचायक) प्रणाली भी मजबूत हुई। सांप के जहर में कोशिकाओं को जहरीला बनने से रोकने की क्षमता होती है। रक्त कैंसर के मामले में सांप का जहर कोशिकाओं को मरने से बचा सकता है। सांप का जहर त्वचा कैंसर उत्पन्न करने वाले सरकोमा के निर्माण को कम कर देता है।
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